हमें ऐसा सत्गुरू मिल गया है जिसने शरीर के अष्ट कमलों का छेदन कर दशम द्वार के मार्ग अगमभूमि का भेद बता दिया है। जिस कारण हमने उस उŸाम लोक को देख लिया है।
सत्गुरू जी मुझे प्रपट्टन ;उत्तम नगरद्ध के पीठ ;बाजारद्ध में ले गए। उस बाज़ार में मेरे सिर का सौदा हो गया। सिर के सौदे से अगले-पिछले सारे कर्म नष्ट हो गए और मैं मोक्ष का अधिकारी बन गया।
महाराज जी कहते हैं कि उस उत्तम लोक के बाजार में सतगुरू देव जी मुझे अपने साथ ले गए, जहां हीरे और माणिक ;ज्ञान, विवकद्ध बिक रहे थे। हमें सिर के बदले में पारस हाथ लग गया अर्थात् उस सौदे ने हमें जीव से ब्रह्म बना दिया।
उस उत्तम नगर के बाज़ार में सत्गुरू जी की दुकान लगी हुई है। उस दुकान में नाम और प्रेम रूपी हीरे मोती बिकते हैं। जीव रूपी सौदागर अपने सिर के बदले में उसका सौदा करते हैं।
उस उत्तम लोक के बाजार में आत्मतत्व की प्राप्ति रूपी सार सौदा बिकता है। हमें सत्गुरू देव जी कठिन रास्ते में से बड़ी आसानी से पार ले गए। अर्थात् हमें सत्गुरू देव जी की कृपा से आत्म साक्षात्कार हो गया।