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।। अथ मंगलाचरण ।।

तेतीस कोटि अधारा, ध्यावैं सहंस अठासी।
उतरैं भौ जल पारा, कटि हैं जम की फांसी ।11।

तैंतीस करोड़ देवता उसके आश्रय हैं और अट्ठासी हज़ार ऋषि उसकी पूजाकरते हैं। उसका स्मरण करने वाले संसार सागर को पार कर लेते हैं और यमों की फांसी से उनका छुटकारा हो जाता है।

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