वह प्रभु सर्वप्रथम है इसलिए उसे आदि गणेश कहा जाता है, वह सब देवों का देव और सब जीवों का मालिक है। मैं उसके चरण कमलों में ध्यान लगाता हूं और आदि से अन्त तक ;सदैव उसकी सेवा करता रहूंगा।
प्रभु परम शक्ति रूप सबके अंग-संग हैं और सब रिद्धियों-सिद्धियों का दाता है। उस अतीत पुरूष के गुणों को कोई नहीं जान सकता। उसे किसी के साथ मोह भी नहीं है।
वह प्रभु समस्त जगत् का मालिक और पालक है। वह मंगल रूप है। ‘मुर’ नानक दैत्य को मारने के कारण उसका नाम मुरारी भी है। उस प्रभु को मैं अपना तन, मन, शीश अर्पण करता हूं। वह भक्ति-मुक्ति का भण्डार है।
उस साहिब का देवता, मनुष्य, मननशील साधक और ब्रह्मा, विष्णु, महेश ध्यान करते ;पूजते हैं। शेषनाग जी हज़ारों मुखों से उस आदिगणेश की महिमा गाते हैं और उसकी पूजा करते हैं।
उस प्रभु को स्वर्ग लोक के राजा इन्द्र, कुबेर भण्डारी, वरूण देव, धर्मराज जैसे पूजते हैं। वह समर्थ पुरूष सबका मालिक है और सबका जीवन है। उसका ध्यान करने से मनो-इच्छित ;मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।