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Vedant Acharya Swami Chetnanand Ji Bhuriwale "Kashiwale"



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India is the land of great Saints, Gurus (spiritual leaders) that showed the right way to whole of the world through spiritual trusts like Gurbani and Puraans told in simple stories. Acharaya Swami chetnanandji maharaj (Bhuriwale) is one of them, was born in Ambala city on 2nd of April -1957, which is now in Haryana state (India) in a religious family. After spending some years in ambala his whole family shifted to their native place at village : Jhandian kalan ( Jhandian majara) Dist: Ropar, Punjab(India).Swamiji`s father name is Late: shri.Ramrakha mal chauhan ( the real name of swami krishnanand ji maharaj) and the great mother name is Late Smt.Manso Devi chauhan.


Chandrashekhar Chauhan ( the real name of Vedhant Acharya swami chetnanandji maharaj) has large number of followers in India and abroad (Canada,Holland,Musket,England,Denmark,Nepal,and Sweden). Under the guidence of Acharya ji Trust had constructed Brahm Niwas Ashram in Brampton,Toranto in Canada in 2006. People feel that Swamiji had lead the world from utter darkness to spiritual enlightenment.

Swamiji has passed his 10th standard from D.A.V. High School , Takhatgarh, near to Bains, District: Ropar, Punjab(India). and after that Satguru Brahmanandji Maharaj Bhuriwale sent him to "SUMPURNANAND SANSKRIT VISHVA VIDHYALAYA" in BANARAS where he studied from 1984 to 1992 and achieved his degree of VEDANT SHASTRI AND ACHARYA.

As he is a successor of Satguru Brahmanandji Maharaj Bhuriwale, he has also been urging his disciples to donate generously for setting up schools and colleges in remote rural areas for the benefit of the poor, especially girls. Maharaj Brahm Sagar Brahmanand Bhuriwale (Garib Dassi) College, Tibba Nangal, Tehsil:Anandpur Sahib, District:Ropar,Punjab (India) is one of the example which is constructed under the blessing & guidance of Vedhant Acharaya Swami Chetannandji Maharaj Bhuriwale.

On May 1, 2002 , when Shri Satguru Brahmanandji Maharaj Bhuriwale left us and went to "Satlok Dham" then Vedhant Acharya Swami Chetnanandji Maharaj Bhuriwale got the "GuruGaddi" on 17th May-2002 at Brahm Niwas Ashram,Haridwar in the presence of and with the acceptance of other Sadhu saints and lakhs of his devotees.

Free medical camp: Swamiji organised a free multi-speciality medical camp at Maharaj Braham Sagar Brahamanand Bhuri Wale College at Tibba Nangal village near to Nurpur Bedi, Punjab(India) on 30 Nov 1999( Sunday), About 900 patients were examined for various diseases of eyes, ENT, chest, teeth, skin and gynae, besides others. Medicines were distributed free of cost among needy patients.

Under swamiji`s Directions the trust also organises four eye camps at Jhandian Kalan Dist:Ropar, Punjab(India)) and two medical camps at Tapprian Khurd and Vill:Rattewal in Distt:S.B.S Nagar and One medical Camp at Dham Raqba Sahib village District :Ludhiana ,Punjab(India)every year.

With the twin aims of preserving the glorious tradition of serving the “gau mata” (cow) as well as to save residents of a number of villages situated in the Shivalik foothills falling in Shaheed Bhagat Singh Nagar, Hoshiarpur and Ropar districts from the menace of stray cattle, Acharya Chetnanand has launched a drive “Each one, adopt one” for ensuring active participation of the masses in the “gau raksha andolan” (save cow drive).

The drive is getting momentum day by day as the enthusiastic followers of the Bhuriwale Trust have so far caught more than 1000 abandoned cows for adoption and protection.

“With this the abandoned cows have started getting proper shelter, fodder and care in the houses and the villagers have been relieved of the nuisance being created by the stray animals by damaging their crops or causing, Proper medical care is also being provided to the cows by trust.

Though there are proposals for providing funds for setting up “gaushalas” by the Central and state governments in the area, Acharya Chetnanand is of the view that merely setting up of “gaushalas” would not serve the purpose in its true spirit. “Spending huge amounts on ‘gaushalas’ and bearing recurring expenses would be futile sans active participation of the people. Hence, he thought of launching a motivation drive which would not only ensure active participation of the people but would serve the purpose of ‘gau raksha’ in a very simple and economical manner,Vedhant Acharya Swami Chetnanandji Maharaj Bhuri Wale is now showing the righteous path to his followers(bhaktjans) through his relentless efforts all over the world.

वेदान्ताचार्य स्वामी चेतनानंद जी महाराज भुरीवाले (वर्तमान गद्दीनशीन )- काशीवाले

संक्षिप्त परिचय

ऐसे बहुत कम संत महापुरुष है जिनकी संगत करने से हमारे मन को सुकून मिलता है जिनकी रूहानियत ,सादगी तथा कार्यों को देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है I कुछ ऐसी ही मिसाल है महाराज भुरीवाले (गरिबदासी) संप्रदाय के वर्तमान गुर्गाद्दीनशीन वेदान्ताचार्य स्वामी चेतना नन्द जी भुरीवाले जिनका जन्म अंबाला शहर (हरियाणा) में पिता श्री राम रखा मल चौहान तथा माता श्रीमती मणसो देवी के घर २ अप्रैल १९५७ को हुआ I आपको बचपन में सिर्फ २ वर्ष कि आयु में इनके माता -पिता ने भुरीवाले सम्प्रदाय के द्वितीय गुरु गद्दीनशीन ब्रह्मज्ञानी संत स्वामी लाल दास भुरीवालो के अर्पण कर दिया था I आपका बचपन का नाम चंद्रशेखर चौहान था I स्वामी लाल दास भुरीवालो कि इच्छानुसार आपका लालन पालन आपके गाँव: झांडिया कला (झांडिया माजरा ) जिला :रोपड़ ,पंजाब (भारत) में किया तथा दसवी तक की शिक्षा डी.ए .वी स्कूल ,तखतगढ ,जिला :रोपड़ में परिवार द्वारा ही कराई गई I

बाद में आपने लुधियाना स्थित भुरीवाले आश्रम में सन्यास धारण करके भगवा वस्त्र धारण किया तथा उनका नाम स्वामी चेतना नन्द रखा गया I आपकी पढाई करने की इच्छा उस समय गुर्गाद्दी पर विराजमान स्वामी ब्रह्मा नन्द जी भुरीवालो ने पूरी की तब उन्होंने आपको उच्चशिक्षा तथा वेद -शास्त्रों की पड़ाई करने हेतु काशी में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय बनारस में दाखिला दिलाया I जहां पर आपने सन १९८४ से १९९२ तक वेदांत शास्त्री तथा आचार्य की डिग्री प्राप्त की I भले ही इस समय सम्प्रदाय में स्वामी ब्रह्मा नन्द जी भुरीवालो के अन्य शिष्य संत भी थे ,पर आपकी आत्मसमर्पणता तथा काबीलियत को देखते हुए स्वामी ब्रह्मानंद भुरीवालो ने इन्हें जिला : शहीद भगत सिंह नगर (नवाशहर) के गाव मालेवाल कंडी में सम्प्रदाय की अगली चौथी गद्दी देने का ऐलान किया I १ मई २००२ को जब स्वामी ब्रह्मा नन्द जी भुरीवालो ने अपना शारीर त्याग दिया तो आपने सभी संतो -महापुरषो व् लाखो संगतो की हाजिरी में उनके पार्थिव शारीर को हरिद्वार में ४ मई को गंगा में जल समाधि दी I

आप भुरीवाले गरीबदासी सम्प्रदा द्वारा चलाये जा रहे ५ डिग्री कॉलेज ,५ स्कूल ,हस्पतालो तथा अनेको स्थानों पर गौशालाए व् देश विदेश में आश्रम की देख-संभाल कर रहे है I

आप ने गुरु महाराज ब्रह्मा नन्द जी भुरीवालो की याद में पोजेवाल में गढ़शंकर -आनंदपुर साहिब रोड पर एक भव्य निर्माण भवन बनवाया जहा महाराज जी का निर्वाण दिवस हर साल बड़ी ही श्रद्धा तथा प्रेम से मनाया जाता है जहा पर देश विदेश से संगत सतगुरु देव जी का आशीर्वाद लेने पहुँचती है I

आप ने कनाडा की संगत के लिए टोरंटो में संत भुरीवाले गरीबदासी ब्रह्म निवास आश्रम स्थापित किया जहा पर हर साल बाबा गरीब दास जी की अमृत वाणी के पाठ करवाए जाते है I टोरंटो के साथ साथ आप ने ऑस्ट्रेलिया में भी आश्रम की स्थापना की I

आप ने अपने गुरु महाराज ब्रह्मा नन्द जी भुरीवालो के कार्यों को ओर आगे बढ़ाते हुए साल में चार निशुल्क नेत्र कैंप लगा रहे है जिस में से एक कैंप गाव : झांडिया कला में भी लगवाया जाता है I


हाल ही में सन २००९ में सतगुरु श्री ब्रह्मा नन्द जी भुरीवालो (गौओवालो ) के वचनो की पालना करते हुए वेदांत आचार्य स्वामी श्री चेतना नन्द जी भुरीवालो की प्रेरणा के साथ भुरीवाले नाम लेवा संगत की तरफ से गौ माता की सेवा के संकल्प को पूरा करने के लिए हजारों की तादात में लावारिस गौओ को पकड़ कर अपने घरों में अपनाया I

आज कल आचार्य जी अपनी सारी संगत को नाम ,सेवा तथा दान के साथ जुड़ने की प्रेरणा दे रहे है I